चार मोटी-मोटी रोटियाँ और भुने हुए आलू के कतरे पोटली में बाँध, चूल्हे के पास रख बतकी झोंपड़ी के दरवाजे के पास आ खड़ी हुई।
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उसने लपकर उसे उठाना चाहा कि पोटली पर एक ने बूट रखकर कहा-' ' क्या रखा है इसमें? '' फिर उठाकर देखा, तो रोटियाँ और भूने हुए आलू के कतरे!
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एक पाँव का जूता गत्ती भगत पियारा बुआ बिगड़े हुए दिमाग मंगली की टिकुली मजनूँ का टीला मंजि़ल महफ़िल माँ मास्टरजी लड़का लोहे की दीवार स्मारक हड़ताल हनुमान डाउनलोड मुद्रण अ+ अ-कहानी बिगड़े हुए दिमाग भैरव प्रसाद गुप्त लेखक को जानिए चार मोटी-मोटी रोटियाँ और भुने हुए आलू के कतरे पोटली में बाँध, चूल्हे के पास रख बतकी झोंपड़ी के दरवाजे के पास आ खड़ी हुई।